28 December 2022

Online Education


कुछ वर्षों में जब ऑनलाइन शिक्षा अपने चरम पर है जिससे छात्रों को औपचारिक शिक्षा तो मिलती ही है साथ ही साथ इससे आम लोग भी शिक्षित और जागरूक हो रहे हैं। लेकिन कुछ समय से देख रहा हूं कि उन शिक्षकों को टारगेट किया जा रहा है जो शिक्षक यूट्यूब और अनेको माध्यम से शिक्षण का कार्य कर रहे हैं। ऑनलाइन शिक्षा के आने से लोग कई सारी चीजें सीख रहे हैं जिसमें इतिहास, अर्थ शास्त्र, विज्ञान, राजनीति शास्त्र , करेंट अफेयर्स और भी कई प्रकार के टॉपिक हैं।

और जब लोग जागरुक होकर राजनीति व्यवस्था अर्थ व्यवस्था प्रशासनिक व्यवस्था को लेकर सरकार और सरकारी तंत्रों पर सवाल उठाते हैं , अपने मौलिक और कानूनी अधिकारों के लिए लड़ते हैं तो सरकार और उन लोगों को भी दिक्कत होती है जो अशिक्षित की वजह से इनका शोषण करते थे इसलिए सरकार और वो लोग जो लोगों में जानकारी के अभाव का फायदा उठाकर इलाके का नेता बने फिरते थे उन कारणों को खत्म करना चाहते हैं जिससे लोग घर बैठकर भी शिक्षित और जागरूक हो रहे हैं और उनमें वो शिक्षक आते हैं जो अपना मूल्यवान समय व अमूल्य ज्ञान लोगों को ऑनलाइन माध्यम से दे रहे हैं। इन शिक्षकों को कई तरीकों से बदनाम किया जा रहा है जैसे पूरे क्लास का छोटा क्लिप दिखाकर लोगों में इनके प्रति ईर्ष्या पैदा करना , शिक्षकों का जाति और उनका बैकग्राउंड आदि हथकंडे होते हैं।

जब higher studies की क्लास चलती है तो उनमें शिक्षक द्वारा कई प्रकार की बातें जैसे पृष्ठभूमि, शुरुवात, क्रमशः इतिहास , परिणाम, क्या चीजें अच्छी हुई और क्या बेहतर हो सकता था और उसके कई पहलुओं पर बात होती है जिससे सुनने वालों को चीजें समझ में आ जाए । क्लास लंबी हो तो थोड़ा बहुत हँसी मजाक आदि चीजें क्लास में होती हैं। 

पूरे क्लास का कुछ हिस्सा देखकर शिक्षको को जज करना उनकी नियत पर शक करना बिल्कुल भी उचित नहीं है। इसलिए मुझे लगता है कि शिक्षकों को कुछ लोगों के द्वारा जो अनायास टारगेट किया जा रहा है उन से सतर्क रहें और जिन लोगों से बहिता फायदा हो शिक्षा मिल रही हो ज्ञान में वृद्धि हो रही हो जागरूक हो रहे हों उनकी कुछ चीजों को नजर अंदाज भी किया जा सकता है।

                                         ~Sudhanshu Gupta

31 March 2020

धारा 144 और lockdown क्या है जानिए बिस्तार से

अक़्सर हम Tv news या अख़बारों में धारा 144 के बारे में सुनते व पढ़ते रहते हैं लेकिन हमको कानूनी जानकारी  न होने के कारण मन में एक सवाल रहता है कि आखिर धारा 144 है क्या इसे क्यूँ लगाया जाता है अभी 24 मार्च को corona virus के चलते केंद्र सरकार ने पूरे देश में Lockdown कर दिया है  ये Lockdown और धारा 144 क्या है इन दोनों में अंतर क्या है आदि सवालों के जवाब आपको यहाँ पर आसानी से मिल जायेगा।


धारा 144 क्या है ?
धारा 144 दण्ड प्रक्रिया संहिता,1973 (CRPC) में दिया गया एक शक्तिशाली कानूनी प्रावधान है जो न्यूूूसेंस या आशंकित खतरे के अर्जेंट मामलों में आदेश जारी करने की शक्ति प्रदान करता है।

धारा 144 लगाने की शक्ति किसके पास होती है ?
धारा 144 लगाने की शक्ति जिला मजिस्ट्रेट या उपखंड मजिस्ट्रेट अथवा राज्य सरकार द्वारा नियुक्त किसी अन्य कार्यपालक मजिस्ट्रेट के पास होती है।

धारा 144 कब और क्यों लगाई जाती है ?
धारा 144 जब किसी कार्यपालक मजिस्ट्रेट को इस धारा के अधीन कार्यवाही करने के लिये यह पर्याप्त आधार हो जाता है कि मानव जीवन व लोगों का स्वास्थ्य खतरे में है या बलवे या दंगा होने की संभावनाएं हैं अथवा लोक शांति भंग हो सकती है और इसका तुरंत निवारण या शीघ्र उपचार अतिआवश्यक है तो मजिस्ट्रेट शांति व्यवस्था बनाये रखने के लिए लिखित आदेश द्वारा जिसमें मामले के तात्विक तथ्यों का कथन होगा पूरे जिले में या जिले के किसी भी इलाक़े में धारा 144 लागू कर सकता है। 

धारा 144 कब तक लागू रहता है ?
धारा 144 लगाने के तारीख से अधिकतम यह 60 दिन तक लागू रहता है लेकिन यदि राज्य सरकार को लगता है कि मानव जीवन, स्वास्थ्य के खतरे का निवारण करने के लिए 60 दिन की अवधि को बढ़ाना जरूरी है तो राज्य सरकार अधिसूचना जारी करके मजिस्ट्रेट को यह निदेश दे सकती है कि अधिसूचना में दिये गये समय तक धारा 144 लागू रखे लेकिन अधिसूचना में दिये गये अतिरिक्त अवधि 6 महीने से अधिक नहीं होगी।

धारा 144 का उपखण्ड 5 :-
धारा 144 में दिए गए आदेश को कोई मजिस्ट्रेट अपनी इच्छा अनुसार या किसी व्यथित व्यक्ति के आवेदन पर विखंडित या परिवर्तित कर सकता है जो उस मजिस्ट्रेट ने खुद या अपने अधीन किसी मजिस्ट्रेट ने या अपने पद पर रहने वाले पहले के किसी मजिस्ट्रेट ने धारा 144 के अधीन दिया हो।

धारा 144 का उपखण्ड 6 :-
धारा 144 को राज्य सरकार अपने द्वारा दिये गए किसी आदेश को या तो अपनी इच्छा अनुसार या किसी व्यथित व्यक्ति के आवेदन पर विखंडित या परिवर्तित कर सकती है।

धारा 144 का उपखण्ड 7  :-
जहाँ उपधारा 5 या 6 के अधीन आवेदन प्राप्त होता है वहाँ मजिस्ट्रेट या राज्य सरकार आवेदन करने वाले को अपने आदेश के विरुद्ध कारण बताने का शीघ्र अवसर देती है और यदि मजिस्ट्रेट या राज्य सरकार आवेदन को निरस्त या अंशतः नामंजूर कर दे तो वह ऐसा करने के अपने कारणों को लेखबद्ध करती है।

धारा 144 का मानव जीवन पर प्रभाव :-
धारा 144 लागू होने के बाद किसी विशिष्ट व्यक्ति को, या आम जनता को अथवा किसी विशेष स्थान में निवास करने वाले लोगों को किसी विशेष स्थान या किसी सार्वजनिक स्थान पर जाने से रोका जा सकता है। 5 या 5 से अधिक लोगों के इकट्ठा होने पर और हथियारों को लाने व ले जाने पर रोक लगा दी जाती है।

Lockdown क्या है ?
Lockdown एक प्रकार बन्दी होता है जो देश में किसी संकट या महामारी के समय लगाया जाता है ंअभी 24 तारीख को कोरोना वाइरस को लेकर Central Government के द्वारा 21 दिन का Lockdown किया गया है यह Lockdown आपदा प्रबंधन अधिनियम‚2005 के तहत Central Government ने अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया है।

आपदा प्रबंधन अधिनियम‚2005 के तहत Central Government की शक्तियां :-
आपदा प्रबंधन अधिनियम‚2005 के तहत Central Government की यह शक्ति होती है कि यदि उसका यह समाधान हो जाता है कि भारत अथवा उसके अधीन किसी राज्य में किसी खतरनाक महामारी का प्रकोप हो गया है या होने की आशंका है और साधारण उपबन्ध उसका प्रकोप रोकने के लिए प्रर्याप्त नहीं है तो Central Government आपदा प्रबंधन अधिनियम‚2005 के तहत अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए Lockdown कर सकती है।

Lockdown का मानव जीवन पर प्रभाव :-
Lockdown में आवश्यक जरूततों को छोड़कर जैसे– डॉक्टर, पैरामेडिक्स, पत्रकार, बैंक, किराने का सामान, सब्जी की दुकान, पेट्रोलियम और फार्मासिस्ट बाकी सब कुछ बन्द रहता है अलग–अलग राज्य सरकारें खुद तय करती हैं कि उनके राज्य में आवश्यक जरूततों में क्या–क्या आयेगा।

धारा 144 और Lockdown का उलंघन करने पर कानूनी प्रावधान निम्न हैं :-

दण्ड प्रक्रिया संहिता,1973 (CRPC) की धारा 107‚151 
जो कोई लोक शांति भंग करता है या भंग करने का प्रयास करता है उसको पुलिस दण्ड प्रक्रिया संहिता,1973 (CRPC) की धारा 107 या 151  में गिरफ्तार कर SDM के पास 24 घण्टे के अन्दर पेश करती है यह धारा जमानतीय होता है इसलिए अगर आरोपी उक्त अधिकारी को जमानत की अर्जी देता है तो उसको जमानत दे दी जाती है लेकिन उस पर 6 माह तक मुकदमा चलाया जाता है। अगर उक्त अधिकारी को जमानत की अर्जी नहीं मिलती है तो उस व्यक्ति को जेल भेज दिया जाता है।

भारतीय दंड संहिता,1860 (IPC) की धारा 188 
अगर कोई व्यक्ति धारा 144 के तहत  मजिस्ट्रेट द्वारा दिये गये आदेश की अवज्ञा करता है तो उस पर भारतीय दंड संहिता,1860 (IPC) की धारा 188 के तहत कार्यवाही होती है इस धारा के तहत व्यक्ति को 1 महीने की जेल या जुर्माना अथवा दोनों से दण्डित किया जाता है।

भारतीय दंड संहिता,1860 (IPC) की 270
भारतीय दंड संहिता,1860 (IPC) की 270 के तहत जो कोई व्यक्ति ऐसा कोई कार्य करेगा और वो यह जानता है कि मेरे ऐसा करने से‚ जीवन के लिए संकटपूर्ण किसी रोग का संक्रमण फैलना संभव है उसको 2 वर्ष की जेल या जुर्माना अथवा दोनों से दंडित किया जायेगा।

भारतीय दंड संहिता,1860 (IPC) की 271
भारतीय दंड संहिता,1860 (IPC) की 271 के तहत जो कोई व्यक्ति ऐसे स्थान पर जायेगा जहां कोई संक्रामक रोग फैल रहा हो या फैला हो और सरकार ने उस क्षेत्र को अलग कर रखा है तो उसे 6 महीने की जेल या जुर्माने से अथवा दोनों से दण्डित किया जायेगा।

अगर आपने इस लेख के माध्यम से धारा 144 और lockdown को अच्छी तरह से समझ लिया है तो इसे शेयर करके अपनी प्रतिक्रिया जरूर दें और यदि आप इस लेख में कोई सुझाव या त्रुटि बताना चाहते हैं तो आप
sudhanshkasaudhanj1122aik@gmail.com पर दे सकते हैं।

15 March 2020

EMOTION

भावना और दुःख :-
हम जीवन में किसी ना किसी समस्याओं में उलझे हुए होते हैं जिससे हमें दुख होता है अधिकतर दुखों का कारण हमारी भावनाएं होती है यह बात आसानी से हजम होने वाली नहीं है लेकिन यह बात बिल्कुल सच है इसलिए इसे हम उदाहरण के रूप में समझते हैं मान लो आप किसी वस्तु को बहुत ज्यादा पसंद करते हैं जिसे आप कभी खोना नहीं चाहते लेकिन जीवन में ऐसी ऐसी परिस्थितियां आ जाती हैं जिससे हमें उस वस्तु को मजबूरन छोड़ना पड़ता है जिसके कारण हमें दुख का सामना करना पड़ता है।
भावना से दुःख के कारण :-
दुख हमें इसलिए नहीं होता कि वह वस्तु हमें बहुत पसंद थी बल्कि इसलिए होता है कि हमारी पसंदीदा वस्तुओं से हमारी भावनाएं जुड़ जाती है।

दुख हमें अपनी सिर्फ पसंदीदा वस्तुओं के छोड़ने पर नहीं होता है बल्कि दुनिया की हर एक वस्तु को छोड़ने पर आपको दुख होगा जिससे आपकी भावनाएं जुड़ी होंगी जिस वस्तु को आप जरूरत से ज्यादा महत्व देंगे वह भी आपके दुखों का कारण बनेंगी।
यहां पर बात सिर्फ पसंदीदा वस्तुओं की ही नहीं है बल्कि हर उस चीज की है जिससे हम अपनी भावनाओं से एक दूसरे से जुड़ जाते हैं वो रिश्ते भी हो सकते हैं वह कोई वस्तु भी हो सकती है वह हमारी जॉब हो सकती है वह हमारी प्रकृति हो सकती है प्रकृति से जुड़े रहने का मतलब यह है कि प्रकृति के एक पेड़ के पत्ते के टूटने पर भी हमें दुख होता है।
रिश्ते भावनाओं के :-
सबसे अधिक इंसान दुखी तब होता है जब उसका किसी से कोई खास रिश्ता टूट जाता है और ऐसा इसलिए है क्योंकि इंसानों के रिश्ते अधिकतर भावनाओं पर टिके होते हैं।
भावनाओं पर नियंत्रण :-
भावनाओं में सबसे रोचक बात यह है कि भावनाओं पर कोई भी इंसान आसानी से नियंत्रण नहीं रख पाता है और अगर हमारा नियंत्रण भावनाओं पर अच्छी तरह से हो जाए तो हम ज्यादातर दुखों से छुटकारा पा सकते हैं।

30 January 2020

[Society] Crime & Criminal

अपराध के सामाजिक कारण ः
किसी भी अपराध के होने में समाज का बहुत बड़ा योगदान होता है क्योंकि संभवतः ऐसा देखने को मिलता है कि आज के समय में समाज गलत चीजों व अपराध का विरोध करने में बहुत कमजोर दिख रहा है और जानबूझकर खामोश है खामोशी के कारण भी हैं जो यह है कि अगर समाज का कोई व्यक्ति समाज में हो रहे अपराध‚अपराधी और गलत कार्यों का विरोध करता है तो समाज के ही कुछ लोग जिनको समाज में हो रहे उन अपराधों से किसी भी प्रकार से फायदा पहुंचता है वो लोग विरोध कर रहे व्यक्ति व उसके परिवार पर दबाव बनाकर चुप करा देते हैं और परिवार सख्त हाेकर अपराध का विरोध करने के बजाय डर कर खामोश हो जाता है। समाज में ऐसा भी होता है कि समाज के लोग अपराधी से व्यक्तिगत सम्बन्ध खराब न हो इसके लिए भी अपराध व अपराधी का विरोध नहीं करते हैं जो कि समाजिक पर्यावरण के लिए बिल्कुल भी ठीक नहीं है।

अपराधी पर विद्वानों के मत ः
अगर हम विद्वानों की बात करें तो उनके अनुसार अपराधी जन्मजात नहीं होते हैं बल्कि ज्यादातर विद्वान इस बात पर अधिक बल देते हैं कि अपराध्री समाज द्वारा बनाये जाते हैं। प्रमुख विद्वान–सदरलैण्ड‚टैफ्ट।

  

22 January 2020

Society & Criminal

गहरी खाईं की ओर बढ़ते हुए से अन्जान हमारा समाज

हमारा समाज अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में इतना व्यस्त हो गया है कि उसके समाज में क्या हुआ है क्या हो रहा है किसी चीज का ज्ञान नहीं है हमारा समाज जाने अनजाने अपराधियों का संरक्षक बना हुआ है अगर कोई अपराधी अपराध करके पैसों के बल पर या किसी भी तरह से कानून से बच जाता है तो वह निडर हो जाता है और हमारा समाज उस अपराधी का विरोध करने के बजाय एक लंबे समय के बाद अपराधी के द्वारा किए गए अपराध को गलती व भूल या लिखा था सो हो गया कहकर माफ कर देता है जिससे समाज के और लोग भी निडर होकर अपराध करते हैं गलती या भूल की माफी हो सकती है लेकिन अपराध की सिर्फ व सिर्फ सजा होती है।

समाज की यह जिम्मेदारी होनी चाहिए कि जो अपराधी कानून से बच गए हैं वह उनके साथ ऐसा व्यवहार करें जिससे अपराधियों को उनके द्वारा किए गए अपराध का पछतावा हो लेकिन हमारा समाज बिल्कुल इसके विपरीत काम करता है अपराधी के साथ ऐसा व्यवहार करता है मानो वह समाज का कोई आम सदस्य या उसने कोई अपराध किया ही नहीं हो |
इस प्रकार, हो गए अपराध के अपराधी को, गलत कार्यों में संलिप्त के लोगों को और हो रहे अपराधों पर चुप रहकर हमारा समाज अपराध को बढ़ावा व अपराधियों का संरक्षण करता है और अगर समाज का इसी तरह रवैया जारी रहा तो हमारा समाज जिस खाईं की ओर बढ़ते हुए जा रहा है उसका समाज के लोगों को अंदाजा तक नहीं है |